Friday, March 29, 2024

राज्य चुनें


मृतक व्यक्ति ने लगाए नारे, में जिन्दा हूँ में जिन्दा हूँ, बनी कागज़ फिल्म

कागज़ फिल्म की कहानी कहा से हुई शुरुआत। 

 7 जनवरी 2021 को रिलीज होने वाली कागज फिल्म एक आम इंसान जिसे जीते जी मृतक घोषित करने का षड्यंत्र रचा गया था पर निर्धारित है। 

 शूटिंग की शुरुआत कैसे हुई 

सतीश कौशिक जी ने इस कहानी को 2004 में सुना था तब से ही उनके मन में इस विषय में फिल्म बनाने का विचार रहा ,परंतु बायोग्राफी मूवी सक्सेसफुल होगी या नहीं इस बात को लेकर वह हमेशा संदेह में रहते थे ,परंतु 2016 में उन्होंने लखनऊ जाकर सीतापुर के पास मिस्बाह में इसकी शूटिंग शुरू कर दी।

शुरुआत में इस फिल्म का नाम मैं जिंदा हूं सोचा गया था।


 

कहानी हे एक मृतक व्यक्ति की 

यह कहानी है यूपी के आजमगढ़ इलाके के पास के एक गांव के लाल बिहारी मृतक की जिन्हें उनके एक रिश्तेदार द्वारा प्रॉपर्टी के लालच में मृतक घोषित कर दिया गया। 
 उन्हें इस बात का पता तब लगा जब वह लोन लेने के लिए ऑफिशियल कार्यालय पहुंचे। उन्हें इस बात को सुनकर अचंभा हुआ।

अपने आप को जिंदा घोषित करने के लिए उन्होंने नैतिक /अनैतिक सभी कार्य जैसे  किडनैपिंग तक की ,कि कहीं तो उनका नाम आए ,19 साल संघर्ष किया अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए।

जिसमें उन्होंने खुद ही का क्रियाक्रम कर अपनी पत्नी के लिए विडो  कंपनसेशन के लिए अप्लाई किया ,कहीं तो उनका नाम आये।  अब तो उन्होंने अपना साइन भी लेट लाल बिहारी  करना शुरू कर दिया जब भी कभी उनको कोर्ट में सुनवाई के लिए जाना पड़ता था तब भी उनका नाम लेट लाल बिहारी ही पुकारा जाता था।

फिर उन्होंने 1989 मैं विजिटर पास के द्वारा असेंबली में जाकर, मैं जिंदा हूं ,मैं जिंदा हूं पर नारे भी लगाए।

पर कोई फायदा नहीं हुआ बाद में सोचा इलेक्शन लड़ा जाए इस दौरान में वह ऐसे बड़े-बड़े पॉलीटिशियंस के खिलाफ इलेक्शन लड़े ,कहीं तो मेरा नाम आए और आखिरकार 1994 में उन्होंने खुद को जिंदा साबित किया इस दौरान उन्होंने  देखा कि वह अकेले ऐसे नहीं है जिन्हें इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे ही लोगों की मदद करने के लिए उन्होंने मृतक संघ नाम का एक आर्गेनाइजेशन शुरू किया जिसके लिए उन्हें 2003 में आईजी नोबेल (  )पुरस्कार के साथ नवाजा गया।

आईजी नोबेल पुरस्कार 1991 में ऐसी साइंटिफिक रिसर्च के लिए दिया जाना शुरू किया गया जो की अजीबोगरीब अचीवमेंट के अंतर्गत आती है पहले बातों को सुनकर हंसी आती है और फिर बाद में एहसास होता है कि यह कितना मुश्किल है। 
इस फिल्म में लाल बिहारी मृतक की भूमिका निभा रहे हैं पंकज त्रिपाठी जी ,साथ ही में अमर उपाध्याय यानी कि मिहिर ,क्यूंकि सास भी कभी बहू थी ,के कलाकार भी दिखाई देंगे। 

RESPONSES

COMMENTS

Related Posts