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News Window 24: घरेलू हिंसा के तहत पति और ससुराल वालों के खिलाफ संगीन आरोपों में पत्नी द्वारा झूठा मुकदमा दर्ज कराए जाने को उच्च न्यायालय ने तलाक को मंजूरी देने के लिए पर्याप्त आधार बताया है न्यायालय ने कहा है कि महिला (पत्नी) द्वारा झूठा मुकदमा दर्ज कराया जाना पति का मानसिक उत्पीड़न है और यह तलाक को मंजूरी देने के लिए प्रमुख आधार है।
जस्टिस विपिन सांगी और रेखा पल्ली की पीठ ने परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए हैं यह टिप्पणी की है कि किसी का मानसिक उत्पीड़न करने के लिए साथ रहना अनिवार्य नहीं है न्यायालय ने महिला की दलीलों को खारिज करते हुए टिप्पणी की है जिसमें महिला ने कहा था कि उसके पति द्वारा लगाए गए प्रताड़ना के आरोप बेबुनियाद हैं क्योंकि लंबे समय से उसके साथ नहीं रह रही थी न्यायालय ने कहा है कि महिला के साथ नहीं रह रही थी लेकिन उसने जिस तरह से झूठे और संगीन आरोप लगाए इससे जाहिर होता है कि प्रतिवादी (पति और उसका परिवार) किस प्रताड़ना किस गुजर रहा होगा।